संपादकीय
रामनिवास मंडोलिया
राजस्थान पुलिस के जवानों ने इस बार अपनी होली नहीं मनाई। 11 सूत्रीय मांगों के समर्थन में पुलिसकर्मियों ने होली का बहिष्कार किया। थाने सुनसान नजर आए। होली पर पुलिसकर्मी सुरक्षा व्यवस्था संभालने में व्यस्त रहते हैं, ऐसे में वे अगले दिन ही होली मनाते हैं, लेकिन इस बार पुलिसकर्मियों ने अपनी नाराजगी प्रदर्शित करते हुए होली नहीं खेली। पुलिसकर्मियों द्वारा होली का बहिष्कार किया जाना चिंता का विषय है। वे अपनी लंबित मांगों को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए यह कदम उठा रहे हैं, जिनमें डीपीसी से प्रमोशन, मैस भत्ता बढ़ाने, साप्ताहिक अवकाश जैसी मूलभूत सुविधाएं शामिल हैं। यह कोई नई मांगें नहीं हैं, बल्कि वर्षों से लंबित चली आ रही हैं, जिन्हें हर बार आश्वासन देकर टाल दिया जाता है। अब इस बार सियासत भी गर्म होने लगी है। देखा जाए जो जवानों की मांगें वाजिब भी है। ‘पुलिस जवानों को आज भी डेढ़ सौ रुपए प्रति माह साइकिल भत्ता दिया जाता है, जबकि साइकिल का जमाना काफी पीछे छूट गया है। अब मांग है कि साइकिल भत्ते की बजाय पेट्रोल भत्ता दिया जाए। पुलिस कर्मियों को मैस भत्ता प्रति माह 2200 रुपए दिया जाता है, जो अपर्याप्त है। पुलिसकर्मियों को रोजाना 73 रुपए भोजन का भुगतान किया जाता है, जबकि 73 रुपए में एक समय का भोजन भी बाजार में नहीं मिलता।’ पुलिसकर्मी दिन-रात कानून-व्यवस्था बनाए रखने में जुटे रहते हैं, त्योहारों पर भी आमजन की सुरक्षा के लिए तत्पर रहते हैं, ऐसे में उनका उपेक्षित महसूस करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। पूर्व की सरकारों ने बजट में पुलिस कल्याण से जुड़े कई प्रस्ताव पारित किए थे, लेकिन वर्तमान में उन पर कोई ठोस निर्णय न लिया जाना पुलिसकर्मियों की नाराजगी का कारण बना है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को इस मुद्दे पर शीघ्र हस्तक्षेप कर सकारात्मक निर्णय लेना चाहिए ताकि पुलिसकर्मियों का मनोबल बना रहे और वे पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें। हालांकि, सभी पुलिसकर्मियों से अपील हैं कि वे होली का बहिष्कार करने के बजाय अपने परिवार और साथियों के साथ इस पर्व को हर्षोल्लास से मनाएं, क्योंकि विरोध का यह तरीका समाधान नहीं है। सरकार को भी चाहिए कि वे पुलिसकर्मियों की जायज मांगों को जल्द से जल्द पूरा कर उनके हित में उचित फैसले लें। पुलिसबल के मनोबल का सीधा असर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर पड़ता है, इसलिए सरकार और प्रशासन को आपसी संवाद के माध्यम से इस मुद्दे का हल निकालना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे विरोध के हालात उत्पन्न न हों और हर कोई त्यौहारों की खुशियों में शामिल हो सके।