शर्मा सरकार में ‘रार और तकरार’..किरोड़ी मीणा बने ‘गले की फांस’!
तूल पकड़ता जा रहा फोन टैपिंग का मामला, अब अनुशासनहीनता में फंसे मंत्री किरोड़ीलाल, भाजपा ने थमाया कारण बताओ नोटिस; सरकार की छवि धूमिल करने का आरोप
मीणा को तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने के निर्देश, निर्धारित समय सीमा में जवाब प्रस्तुत नहीं करने पर मानी जाएगी मौन सहमति, बड़े राजनीतिक भूचाल की आशंका
जयपुर। भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान के वरिष्ठ नेता और विधायक डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को अनुशासनहीनता के आरोप में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने यह नोटिस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देशानुसार जारी किया। नोटिस में कहा गया है कि डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से पार्टी और भाजपा नीत सरकार पर अनुचित आरोप लगाए। उन्होंने मीडिया में बयान देते हुए सरकार पर अपना फोन टैप कराने का आरोप लगाया, जिसे पार्टी ने असत्य और गंभीर माना है। नोटिस में कहा गया है कि डॉ. मीणा का यह बयान भारतीय जनता पार्टी और उसकी बहुमत वाली सरकार की प्रतिष्ठा को धूमिल करता है। इस कृत्य को पार्टी संविधान के अनुशासन भंग की परिभाषा के तहत माना गया है। भाजपा ने उन्हें नोटिस जारी कर तीन दिन के भीतर अपना स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है। पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि वे निर्धारित समय सीमा में जवाब प्रस्तुत नहीं करते हैं, तो इसे उनकी मौन सहमति माना जाएगा और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
जानकारी के अनुसार वायरल वीडियो में मंत्री मीणा ने कहा...‘मैं आशा करता था कि हम राज में आएंगे तो भ्रष्टाचारियेां पर नकेल कसेंगे। लेकिन निराश हूं। मैने पेपरलीक के मामले उठाए। 50 थानेदार गिरफ्तार हुए। मैने कहा परीक्षा रद्द करो, लेकिन सरकार नहीं मानी। उल्टा जैसा पिछली सरकार में होता था, चप्पे-चप्पे पर मेरी सीआईडी की जाती है। मेरा टेलीफोन भी रिकॉर्ड किया जाता है, लेकिन मैं कोई बुरा काम करता नहीं, इसलिए मैं डरता नहीं।’ वीडियो आमागढ़ मंदिर में एक सामाजिक कार्यक्रम का है।
बोले किरोड़ी-अब तक नोटिस की जानकारी नहीं
इस पत्र की पुष्टि के लिए किरोड़ीलाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि, ‘मुझे कारण बताओ नोटिस के बारे में जानकारी नहीं है। मैं पार्टी का अनुशासित सिपाही हूं, नोटिस प्राप्त होते ही तय समय अवधि में पार्टी नेतृत्व को जवाब प्रेषित किया जाएगा।’
किरोड़ी करवा रहे सरकार की किरकिरी, विधानसभा में भी मचा था बवाल
मीणा समाज से आने वाले राजस्थान के कैबिनेट मंत्री डा किरोड़ी लाल मीणा प्रदेश की भजनलाल शर्मा सरकार के गले की ऐसी फांस बन चुके हैं, जिसे सरकार ना तो उगल पा रही है और ना ही निगल पा रही है। डॉ. किरोड़ी के एक बयान से विधानसभा में सरकार की ऐसी किरकिरी हुई कि सरकार से कोई जवाब तक नहीं दिया जा सका। कांग्रेस ने सरकार को सदन के भीतर और बाहर जमकर घेरा। लेकिन सरकार सिर्फ बचाव की मुद्रा में नजर आई। किरोड़ी लाल मीणा आखिर चाहते क्या हैं? सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि उसे किरोड़ी मीणा का हर बर्ताव झेलना पड़ रहा है? ऐसे कई सवाल लोगों के जहन में जिसका जवाब नहीं मिल रहा है।
डॉ. किरोड़ी के बगावती तेवर नए नहीं, उपचुनाव के बाद से बदले सुर
दरअसल, किरोड़ी लाल मीणा के बगावती तेवर नई बात नहीं है। साल 2023 के अंत में राजस्थान में बीजेपी सत्तासीन हुई थी और किरोड़ी लाल मीणा तब से लेकर अब तक कई मर्तबा अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करते नजर आ चुके हैं। मुद्दा चाहे राजस्थान की विवादास्पद सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा हो या खुद किरोड़ी के सगे भाई जगमोहन मीणा की दौसा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में हुई हार का। किरोड़ी ने जब भी बोला सरकार को घेरा। किरोड़ी के बगावती तेवर की शुरुआत उस दिन से मानी जा सकती है जब उन्हें कृषि जैसा महकमा दिया गया। बताया जाता है कि राज्य की भजनलाल कैबिनेट में सबसे अनुभवी डॉ. किरोड़ी लाल मीणा कोई ढंग का पोर्टफोलियो चाह रहे थे लेकिन आरएसएस से नजदीकी भी किरोड़ी के काम नहीं आ सकी और उन्हें कृषि विभाग का मंत्री बना दिया गया। इसके बाद से डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के बगावती तेवर हर मुद्दे पर नजर आने लगे। यहां तक कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया लेकिन उनके उस इस्तीफे का क्या हश्र हुआ ये कोई नहीं जानता।
अपनी ही सरकार पर फोन टेपिंग का लगाया आरोप, केबिनेट मीटिंग से भी बनाई दूरी
किरोड़ी लाल मीणा ने कई बार कैबिनेट बैठकों से दूरी बनाई लेकिन, कभी भी सीएम भजन लाल शर्मा या दूसरे किसी बड़े नेता ने उनसे इस मुद्दे पर ना तो सफाई मांगी और ना उनसे कोई बातचीत ही की। सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा को रद्द करने के मुद्दे पर उन्होंने सरकार को सडक़ पर घेरा लेकिन सीएम भजनलाल ने इस मुद्दे पर भी खामोशी बनाये रखी। इसके बाद किरोड़ी ने अपने भाई की हार का ठीकरा भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी नेताओं पर फोड़ा लेकिन भजनलाल शर्मा मौन धारण किए रहे। अब तो डॉ. किरोड़ी लाल ने सीधे-सीधे उनके फोन टेप किए जाने और उनकी जासूसी करने का सीधा आरोप जड़ दिया।
किरोड़ी लाल मीणा के आरोप पर सीएम की चुप्पी, नहीं आया जवाब
अबकी बार किरोड़ी लाल मीणा का निशाना इधर उधर नहीं बल्कि सीधे-सीधे भजनलाल शर्मा पर था, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस बार भी अपना मौन नहीं तोड़ा और किरोड़ी मीणा के आरोप का कोई जवाब नहीं दिया। यहां ये समझना जरूरी है कि किरोड़ी लाल मीणा के तमाम आरोपों का ताल्लुक सीधे तौर पर राज्य के गृह विभाग से से है जो खुद सीएम भजन लाल शर्मा के अधीन है। किरोड़ी के इस सीधे आरोप पर विधानसभा में जबरदस्त हंगामा हो गया लेकिन सीएम भजनलाल की जगह उनके गृह राज्य मंत्री और दूसरे विधायक किरोड़ी के मुद्दे पर सफाई देने सामने आए। वहीं उधर, कांग्रेस ने किरोड़ी लाल मीणा के आरोपों को हाथों हाथ लिया और सरकार की घेराबंदी कर डाली। कांग्रेस ने सीएम भजनलाल सरकार से किरोड़ी के आरोपों पर जवाब मांगा लेकिन सरकार इस मुद्दे पर पूरी तरह बैकफुट पर नजर आई।
इस पूरे मामले को कांग्रेस ने भुनाया, लेकिन सरकार बैक फुट पर
कांग्रेस इस कदर हमलावर है, इसके बावजूद बीजेपी और सरकार पूरी तरह मौन है। किरोड़ी के बयान को चार दिन बीत चुके हैं लेकिन सरकार ना तो कुछ बोल रही है और ना कोई एक्शन होता दिख रहा हैं। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में चर्चा आम है कि सरकार और सीएम भजनलाल शर्मा किरोड़ी लाल मीणा के मामले में मजबूर हैं। दरअसल किरोड़ी जिस मीणा समाज से आते हैं वो मीणा समाज प्रदेश में मार्शल कौम मानी जाती है। किरोड़ी की अपने समाज पर जबरदस्त पकड़ है और उनके खिलाफ कोई भी बड़ी कार्रवाई मतलब पूरे मीणा समाज को नाराज करना। इस समाज का कितना प्रभाव है इसकी सिर्फ इसी बात से समझ सकते हैं कि प्रदेश की दो सौ में करीब एक चौथाई यानी पचास सीटें या तो मीणा बाहुल्य हैं या वहां इतने ज्यादा मीणा वोट है जो चुनावी हार जीत तय करते है। बस यही एक बड़ी वजह है कि डॉ. किरोड़ी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सरकार में अपनी हैसियत से खुश नहीं किरोड़ी मीणा?
अब इस मामले का दूसरा पहलू कि आखिर किरोड़ी लाल मीणा अपनी सरकार के खिलाफ क्यों है? इसका सीधा जवाब ये है कि डा किरोड़ी लाल सरकार में अपनी मौजूदा हैसियत से खुश नहीं हैं। वो ऐसी प्रभावी भूमिका चाहते हैं जिसमे उन्हें निर्णय की ताकत मिले। ऐसा कोई पद जैसे डिप्टी सीएम या कोई बड़ा सरकारी विभाग। किरोड़ी का एक दर्द ये भी है कि सीएम भजनलाल शर्मा से लेकर दोनों डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा और दीया कुमारी सभी उनके राजनीतिक जीवन के लिहाज से बेहद जूनियर हैं और ऐसे में डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के लिए कृषि और ग्रामीण विकास जैसे कम महत्व का विभाग मजबूरी जैसा साबित हो रहा है।