जम्मू कश्मीर के पहलगाम की बैसारन घाटी में आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई बड़े फैसले लिए हैं. इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी एक के बाद एक जवाबी कदम उठाए हैं. इसमें वाघा बॉर्डर को बंद करने, सार्क वीजा सुविधा स्थगित करने और भारतीय विमानों के लिए अपनी हवाई सीमा बंद करने जैसे फैसले शामिल हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने गुरुवार को आनन-फानन में नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (NSC) की बैठक बुलाई. इसमें पाकिस्तान ने कई फैसले लिए हैं. पाकिस्तान ने भारत पर अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया और शिमला समझौता सस्पेंड कर दिया. पाकिस्तान ने कहा कि वह शिमला समझौते समेत भारत से किए गए सभी द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित करने का अधिकार सुरक्षित रखता है. पाकिस्तान की इस गीदड़भभकी के बाद शिमला समझौता एक बार फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है. इसे 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक निर्णायक युद्ध के बाद ... शांति बहाल करने के लिए साइन किया गया था. लेकिन सवाल उठता है कि शिमला समझौता आखिर है क्या? इसकी अहमियत क्या है?
शिमला समझौते की पृष्ठभूमि: 1971 का युद्ध
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध हुआ, जो पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) की आज़ादी को लेकर था. पाकिस्तान की सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में भारी अत्याचार किए जिसकी वजह से लाखों लोग भारत में शरण लेने आ गए. इसके जवाब में भारत ने हस्तक्षेप किया और पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू की. यह युद्ध भारत की निर्णायक जीत में समाप्त हुआ. पाकिस्तानी सेना के लगभग 93,000 जवानों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और एक नया देश- बांग्लादेश विश्व मानचित्र पर उभरा. भारत इस स्थिति में था कि वह पाकिस्तान पर भारी शर्तें थोप सकता था, भारत ने शांति और स्थिरता को प्राथमिकता दी. इसी सोच के तहत भारत ने पाकिस्तान को बातचीत के लिए बुलाया और शिमला समझौता हुआ.