राजस्थान में राइट टू एजुकेशन पॉलिसी (RTE) के तहत पेरेंट्स की परेशानी बढ़ती जा रही है। सरकार की लॉटरी में सिलेक्ट होने के बाद भी प्रदेशभर में बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स को सेशन शुरू होने के बाद भी एडमिशन नहीं दिया जा रहा है। इसके बाद अब पेरेंट्स ने स्कूल मैनेजमेंट के साथ ही शिक्षा विभाग के खिलाफ भी मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है। राजस्थान में एक और जहां सरकार आरटीई के तहत 3 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स का प्राइवेट स्कूल में एडमिशन कराने का दावा कर रही है। वहीं, दूसरी ओर अपने बच्चों के एडमिशन के लिए पेरेंट्स आज भी दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हो रहे हैं। जयपुर में ही बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स को अब तक राइट टू एजुकेशन पॉलिसी के तहत एडमिशन नहीं दिया गया है। इसके बाद परेशान पेरेंट्स सरकार के खिलाफ आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं। जयपुर के झालाना, सांगानेर, सी-स्कीम, मालवीय नगर, वैशाली नगर, सोडाला और परकोटे क्षेत्र के प्राइवेट स्कूलों ने आरटीई के तहत पहली कक्षा में प्रवेश देने से साफ इनकार कर दिया गया है। अभिभावकों को न तो स्कूलों में कोई जवाब मिप्राइवेट स्कूलों का तर्क है कि हाईकोर्ट ने हाल ही में आरटीई को लेकर आदेश दिया है कि एडमिशन सिर्फ एंट्री लेवल कक्षा में ही हो सकता है। जो काफी स्कूलों में नर्सरी से शुरू होते हैं। इसलिए पहली कक्षा को एंट्री लेवल नहीं मानते हुए आरटीई के तहत एडमिशन से इनकार कर रहे हैं। पूरे मामले पर शिक्षा विभाग ने भी अब तक कोई स्पष्ट गाइड लाइन जारी नहीं की हैं। इससे बड़ी संख्या में पेरेंट्स और स्टूडेंट असमंजस की स्थिति में आ गए हैं।ल रहा है, न ही शिक्षा विभाग से कोई समाधान मिल रहा है।
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