डकैतों ने जयपुर के चित्रकूट इलाके के ज्वेलर के घर से लाखों रुपए की ज्वेलरी लूटी। दो बदमाशों ने ज्वेलर की पत्नी के साथ गैंगरेप भी किया। पुलिस वारदात के पीछे किसी बांग्लादेशी गैंग के शामिल होने की आशंका जता रही थी। पुलिस को जांच के दौरान घटनास्थल पर बदमाशों की एक सिम मिली। जिसकी कॉल डिटेल और लोकेशन ट्रेस करने पर पुलिस को बदमाशों के बारे में अहम सुराग मिले।
इसके आधार पर पुलिस को डकैतों की वारदात से पूर्व की लोकेशन का पता चल सका। इससे पुलिस जयपुर में आसिफ और राशिदा नाम के दो संदिग्धों के ठिकाने तक पहुंची। आसिफ तब तक फरार हो चुका था और राशिदा ने 21 सितंबर 2014 को जयसिंहपुरा कच्ची बस्ती के किराए के मकान को छोड़ दिया। अब वह बादशाह उर्फ जमाल बादशाह के पास उसके भांकरोटा स्थित मकान में रहने लगी।
पुलिस जब इसके नए ठिकाने पर पहुंची तो पता चला कि 22 सितंबर को ही मुकिम, आसिफ और राशिदा भी जयपुर से मथुरा भाग गए। पुलिस जांच में सामने आया कि जयपुर में रह रही बांग्लादेश निवासी रसीदा ने बांग्लादेश से आए डकैतों को जयसिंहपुरा कच्ची बस्ती में शरण दी थी।
कबाड़ी का काम करने वाला बांग्लादेशी मोहम्मद आसिफ व सलीम भी इस गिरोह में शामिल हो गए। बांग्लादेश निवासी मोहम्मद अनीफ उर्फ हनीफ डकैतों के साथ जम्मू कश्मीर से जयपुर आया था।
वहीं पश्चिम बंगाल निवासी रहमातुला गाजी डकैतों के साथ दिल्ली से जयपुर आया। ये सभी जयपुर में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों के घर पर ही ठहरे थे। पुलिस ने 16 अक्टूबर 2014 को आसिफ उर्फ दाऊद को मथुरा से गिरफ्तार किया। वहीं सलीम शेख को जयपुर से पकड़ा। पूछताछ के दौरान माेहम्मद आसिफ ने बताया कि उसने अपने साथियों सलीम शेख, रफीक शेख, मिंटू, सोहाग, राजू उर्फ रोशन, मुकिम के साथ वारदात की थी। राशिदा वारदात के बाद रफीक से संपर्क में थी। रफीक की लास्ट लोकेशन नोएडा आई। इसके बाद उसने अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया। पुलिस ने बदमाशों के मोबाइल नंबर के आधार पर इनकी लोकेशन की पुष्टि की। पूछताछ में पता चला कि रफीक शेख 13 सितंबर को अपने साथी मिंटू, बोशंदा उर्फ सोहाग के साथ जयपुर आया था। ये सभी जयसिंहपुरा भांकरोटा स्थित मोहम्मद आसिफ उर्फ दाउद व राशिदा के मकान पर रुके थे। वहीं राजू उर्फ रोशन 2 सितंबर को ही आ गया था। इस दौरान मुकीम, सलीम शेख ने भी इनसे संपर्क किया।
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