गोरखपुर स्थित मुबारक दरगाह शरीफ पर हज़रत मुबारक ख़ान रहमतुल्लाह अलैह के सालाना उर्स मुबारक के अवसर पर “एक शाम शहीदों के नाम” का विशेष आयोजन बड़े जोश, श्रद्धा और राष्ट्रीय एकता के संदेश के साथ संपन्न हुआ। इस मौके पर अजमेर शरीफ दरगाह के गद्दीनशीन और चिश्ती फाउंडेशन के चेयरमैन हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने अजमेर दरगाह शरीफ से मुबारक ग़िलाफ़ पेश किया और मुल्क में अमन, भाईचारे और तरक्की के लिए दुआ की। इस भव्य कार्यक्रम में पीठाधीश्वर श्री गोस्वामी सुशील महाराज जी, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता श्री लल्लेश रेड्डी जी, और दरगाह कमेटी अध्यक्ष श्री इक़रार अहमद जी ने विशेष सहभागिता निभाई। देशभर से आए हज़ारों ज़ाइरीन और श्रद्धालुओं ने एकजुट होकर आतंकवाद और दहशतगर्दी के खिलाफ आवाज़ बुलंद की और पहलगाम, कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए भारतीय नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। घायल और उनके परिवारों के लिए विशेष दुआ की गई।
हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने अपने संदेश में कहा: “भारत की रूह मोहब्बत, अमन और भाईचारे में बसती है। अजमेर शरीफ से यही पैगाम है कि हम सभी को इंसानियत और आपसी मुहब्बत को अपना मिशन बनाना है। आतंकवाद और नफ़रत के खिलाफ हमें एकजुट होकर अपने वतन की हिफाज़त करनी है। शहीदों की कुर्बानी हमारे दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेगी और हमें अपनी आने वाली नस्लों को अमन का सच्चा पैगाम देना है।”
पीठाधीश्वर श्री गोस्वामी सुशील महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा:
“भारत विश्व में अध्यात्म, प्रेम और सह-अस्तित्व का सबसे बड़ा संदेशवाहक रहा है। आज इस पावन मंच से हम यह संकल्प लेते हैं कि जाति, धर्म और भाषा के भेद को भुलाकर हम सब एकजुट रहेंगे और आतंकवाद जैसी बुराइयों का डटकर मुकाबला करेंगे। शहीदों के बलिदान से हमें प्रेरणा मिलती है कि वतन से बढ़कर कुछ नहीं है।”
श्री लल्लेश रेड्डी ने अपने विचार रखते हुए कहा:
“आज गोरखपुर की इस मुबारक सरज़मीं से हम वादा करते हैं कि भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को और मजबूत करेंगे। आतंक और हिंसा की ताकतों के खिलाफ हमारा प्रेम, हमारी एकता, सबसे बड़ी जवाबी ताकत बनेगी। शहीदों की कुर्बानी हमें यह सिखाती है कि असली ताकत आपसी भाईचारे और राष्ट्रप्रेम में है।”
श्री इक़रार अहमद, अध्यक्ष, दरगाह कमेटी, ने कहा: “हज़रत मुबारक ख़ान दरगाह शरीफ ने हमेशा अमन और सौहार्द का संदेश दिया है। आज जब मुल्क को एकजुटता की सबसे ज्यादा जरूरत है, तब इस दरगाह से उठी दुआएं और इरादे पूरे देश को नफ़रत के खिलाफ एक नई रौशनी देंगे। हर नागरिक को शहीदों के इस बलिदान को अपने जीवन में सम्मान और प्रेरणा के रूप में आत्मसात करना चाहिए।” कार्यक्रम के समापन पर समस्त उपस्थित जनसमूह ने ‘जय हिंद’ और ‘हिंदुस्तान ज़िंदाबाद’ के नारों के साथ देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता का जश्न मनाया।
“एक शाम शहीदों के नाम” कार्यक्रम भारत की साझा संस्कृति, अध्यात्मिकता और अमन के साझा संकल्प का जीवंत उदाहरण बनकर इतिहास में दर्ज हो गया।