सऊदी, UAE, अमेरिका और भारत शुरू करने जा रहे ये काम, चीन की उड़ेगी नींद 

सऊदी, UAE, अमेरिका और भारत शुरू करने जा रहे ये काम, चीन की उड़ेगी नींद 

भारत, अमेरिका और खाड़ी देश सऊदी और यूएई मिलकर एक मेगा प्रोजेक्ट पर काम करने की योजना बना रहे हैं जो मध्य-पूर्व को रेल नेटवर्क के माध्यम से जोड़ेगा. इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य मध्य-पूर्व को समुद्र के जरिए भारत सहित दक्षिण एशिया से भी जोड़ना है. यह मध्य- पूर्व में चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट को टक्कर देगा.

दुकान
 भारत, अमेरिका, संयुका अब अमीरात और सऊदी अरब जल्द ही एक प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर सकते हैं जो खाड़ी और अरब देशों को रेल नेटवर्क के माध्यम से जोड़ेगा ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई है कि इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के जरिए मध्य-पूर्व को समुद्री लेन के माध्यम से दक्षिण एशिया से जोड़ा जाएगा. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने इसी संबंध में रविवार को अमेरिका, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के अपने समकक्षों से सऊदी अरब में मुलाकात की है.

मेरी न्यूज साइट एक्सिस के मुताबिक इस मुलाकात के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने अमेरिका द्वारा प्रस्तावित महत्वाकाक्षी प्रोजेक्ट पर चर्चा की अमेरिका चाहता है कि इस प्रोजेक्ट में भारत की रेल नेटवर्क का जाल बिछाने की विशेषज्ञता का अमेरिका इस प्रोजेक्ट के जरिए मध्य पूर्व में चीन और उसके महत्वकाक्षी प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के

बढ़ते प्रभाव को कम करता है।
 अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने गुरुवार को वाशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी में अपने एक भाषण के दौरान संकेत दिया था कि इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया जा सकता है.

उन्होंने कहा था, 'यदि आपको मेरे भाषण से और कुछ याद नहीं है, तो 122 को याद रखें, क्योंकि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे आप इसके

बारे में अधिक सुनेंगे
 उन्होंने कहा था कि अमेरिका की आर्थिक टेक्नोलॉजी और कूटनीति और आगे बढ़ाने वाला यह प्रोजेक्ट दक्षिण एसिया माग- पूर्व और

अमेरिका को जोड़ेगा उनके अनुसार मध्य-पूर्व में बाइडेन प्रशासन की रणनीति में क्षेत्रीय एकीकरण एक महत्वपूर्ण स्तंभ है डॉट नेटवर्क से जुड़कर क्या हासिल करना चाहता है भारत? के से लिखा कि भारत सरकार इस परियोजना में इसलिए जुड़ना चाहती है क्योंकि यह भारत के तीन मनीतिक उद्देश्यों को पूरा करता है.

पहला उद्देश्य चीन ने मध्य-पूर्व में अपने राजनीतिक प्रभाव में काफी विस्तार किया है. हाल ही में जब चीन की मध्यस्थता में सऊदी अरब

और ईरान के बीच शांति समझा हुआ तो यह भारत के लिए चौकाने वाला था. मध्य-पूर्व भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से बेहद

है और इस समझ से क्षेत्र में भारतीय हितों के प्रभावित होने का खतरा काफी बढ़ गया है.

को एक मौका मिला है कि वो प्रोज…
भारत चाहता है कि उसकी पब्लिक और निजी सेक्टर की कंपनियों को मध्य-पूर्व के देशों में नए आर्थिक और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के अवसर मिले.

इस प्रोजेक्ट से जुड़ने पर भारत को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से मुकाबला करने में मदद मिलेगी. चीन के इस प्रोजेक्ट से क्षेत्र के

देश पर आर्थिक दबाव पड़ा है लेकिन अमेरिका द्वारा प्रस्तावित ब्लू डॉट नेटवर्क से जुड़ने वाले देशों पर इस तरह का आर्थिक दबाव नहीं तीसरा उद्देश्य भारत सरकार को लगता है कि पाकिस्तान द्वारा जमीनी ट्रांजिट रास्तों को रोके जाने के कारण भारत मध्य-पूर्व के अपने बड़ोसियों से पूरी तरीके से नहीं जुड़ पा रहा है. इसलिए, भारत मध्य-पूर्व के बंदरगाहों तक पहुंचने के लिए शिपिंग मार्गों का उपयोग करना

है. इनमें ईरान का चाबहार बंदरगाह, बंदर-ए-अब्बास (ईरान), हुक्म (ओमान), दुबई (यूएई), जेदा (सऊदी अरब) और कुवैत सिटी

शामिल है

है चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव जिसका मुकाबला करेगा ब्लू डॉट नेटवर्क ?

का महत्व प्रोजेक्ट 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) एशिया, यूरोप और अफ्रीका को सड़क मार्ग, रेलमार्ग, और समुद्री मार्ग जोड़ने के लिए शुरू किया गया है. चीन इस प्रोजेक्ट को ऐतिहासिक 'सिल्क रूट के आधुनिक रूप के तौर पर पेश करता है. मध्य काल सिल्क रूट का इस्तेमाल चीन सहित कई देश एशिया और यूरोप के देशों से व्यापार के लिए करते थे.