तीखी, विवादित और सुर्खियां बटोरने वाली टिप्पणियां निशिकांत दुबे की राजनीति का स्टाइल है. वे संसद में अपनी आक्रामक और तीखे बयानों के लिए जाने जाते हैं.... उनके बयानों और खुलासों ने संसद और राजनीति में हलचल ला दिया है. पार्टी की झिड़की सुनने का रिस्क उठाकर भी निशिकांत दुबे कई मौकों पर बीजेपी लाइन से हटकर आक्रामक और उत्तेजक बयान दे देते हैं. ये बयान अक्सर उनकी व्यक्तिगत छवि और फायरब्रांड इमेज को मजबूत करने वाली होते हैं हालांकि पार्टी को कोर्स करेक्शन करना होता है. पार्टी पल्ला झाड़ लेती है. लेकिन चर्चा पार्टी की डांट की नहीं बल्कि
तमिलनाडु से जुड़े बिलों को राज्यपाल की ओर से मंजूरी नहीं देने और वक्फ संशोधन कानून 2025 के दो अहम प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से रोक लगाने के बाद सांसद निशिकांत दुबे का बयान इसी श्रेणी में आता है. निशिकांत दुबे ने कहा था कि अगर देश में कोई धार्मिक युद्ध भड़का रहा है, तो वह सुप्रीम कोर्ट है. आप इस देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि अगर शीर्ष अदालत को ही कानून बनाना है तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए.
निशिकांत दुबे ने कहा कि, 'किस कानून में लिखा है कि राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर फैसला लेना है? मस्जिदों के लिए आप कहते हैं कि उनसे संपत्ति के कागजात मांगना गलत है, लेकिन मंदिरों के लिए आप खुद ही कागज मांगते हैं. यह दोहरा मापदंड क्यों?'
सांसद के ऑरिजिनल बयान की होती है दरअसल निशिकांत दुबे बीजेपी के गाइडेड मिसाइल बनते जा रहे हैं.